Thursday, June 2, 2011

बाल दिवस.....

 फुटपाथ पर लेटते हैं ,


हाथ का तकिया लगा कर ।


ओढ़ते अम्बर दिसम्बर में ,


अख़बार की रद्दी बिछा कर॥


सड़क पर ही दिन निकलता ,


रात भी होती सड़क पर ,


सड़क पर ही प्रसव होता ,


मौत भी होती वहीँ पर ।


अभावो में बाल लीला ,


टेकती घुटने सिमट कर॥


गलिया सुन बड़े होते ,


रो रहे होते सिसक कर ।


भूख होती प्यास होती ,


छत नहीं होती सिरों पर ॥


बाल दिवस हर वर्ष होता ,


जान नहीं पाते उम्र भर ॥

*****शिव प्रकाश  मिश्रा ****
http://www.shivemishra.s5.com

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