Sunday, November 6, 2011

गोरखपुर डायरी : (भाग एक) ..... GORAKHPUR DIARY : PART I

 एक प्यारा शहर  :  गोरखपुर  
मैं १७ अप्रैल २००७ को स्थानांतरित होकर गोरखपुर पहुंचा | मैंने पाया कि पूर्वांचल के बारे में ज्यादातर मेरे मित्रों की राय अच्छी नहीं थी और वह  सही भी नहीं थी   ....!

उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में गोरखपुर, बाबा गोरखनाथ के नाम से सुविख्यात अनेक पुरातात्विक, अध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहरों को समेटे हुए  राप्ती नदी के किनारे बसा एक प्राचीन शहर है। एशिया की सबसे बड़ी राम  गढ़ झील  यहाँ स्थिति  है | मुंशी प्रेमचन्द की कर्मस्थली व फिराक गोरखपुरी की जन्मस्थली के रुप मे गोरखपुर, पूर्वांचल के गौरव का प्रतीक है। तीर्थाकर महावीर, करुणावतार गौतम बुद्ध, संत कवि कबीरदास भी किसी  न किसी रूप में शहर से सम्बद्ध रहे हैं |  गुरु गोरक्षनाथ ने जनपद के गौरव को राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्थापित किया । अमर शहीद पं0 राम प्रसाद बिस्मिल, बन्धु सिंह व चौरीचौरा आन्दोलन के शहीदों की शहादत स्थली चौरी चौरा (गोरखपुर) में है । हस्तकला ‘टैराकोटा’ के लिए प्रसिद्ध गाँव, जहाँ के कई शिल्पकार राष्ट्रपति से पुरस्कार प्राप्त कर चुके है यहाँ स्थित  है |
           
शहर में स्थित  गोरखनाथ मंदिर और गीताप्रेस गोरखपुर ने मुझे सबसे अधिक प्रभावित किया |गीता प्रेस ने हिन्दुस्तानियों  के प्राचीन ग्रंथों का प्रकाशन कर उनका संरंक्षण किया और बहुत सस्ते दामो पर देश विदेश में सर्व सुलभ कराया यह एक ऐसा कार्य है जिसका संपूर्ण भारत विशेषतया प्रत्येक हिन्दू और उनकी आने वाली पीढ़िया  आभारी रहेंगी  | बिना कोई दान स्वीकार किये और बिना कोई  घाटा उठाये गीता प्रेस ने समाज की जो सेवा की है वह न केवल प्रसंसनीय है बल्कि प्रबंधन  के विद्यार्थियों के लिये शोध एवं अध्धययन का विषय भी है |इसके कर्मचारी संतोषजनक वेतन पाते है और अन्य सभी वैधानिक भुगतान पाते है और कल्याणकारी कार्य में लगे होने का गर्व भी महसूस  करते है |


 गोरखनाथ मंदिर वास्तव में पूर्वांचल का शक्ति  केंद्र है और योग पीठ भी| गोरखपुर के वर्तमान में गोरखनाथ मंदिर का बहुर बड़ा योगदान है| मंदिर के उतराधिकारी और गोरखपुर सदर के सांसद योगी आदित्यनाथ एक कर्मयोगी की तरह गोरखपुर के विकाश और समाज सेवा में अथक परिश्रम कर रहे हैं|  गोरछ पीठ  आज के पूर्वांचल का एक अभिन्न हिस्सा हैं और योगी आदित्य नाथ उसके ध्वज वाहक हैं| योगी जी की दिनचर्या - सुबह ३ बजे से शुरू होकर रात ११ बजे समाप्त होती है | सुबह मंदिर की  गौसाला  की गायो से लेकर बन्दर और कुत्ते भी उनसे लिपट कर ऐसे  मिलते है जैसे अपने घर का कोई सदस्य खासतौर से घर के छोटे बच्चे |ये सब  किसी भी व्यक्ति के लिए ये सुखद प्रेरणा का श्रोत हो सकती है| मैं उनकी कर्त्तव्य परायणता से बहुत प्रभावित हुआ | मैंने पाया कि वह प्रत्येक बिषय पर अपनी वेवाक राय रखते है और शब्दों का चयन बहुत सोच समझ कर  करते है | स्वाभाविक है किसी  बिषय पर बोलने के पहले उसका गहन अध्धययन करते होंगे |मंदिर परिसर में आयुर्वेद का चिकत्सालय है और एक योग केंद्र भी |परिसर में एक और एलोपेथिक चिकत्सालय है जिसमे शहर के सभी नामी गिरामी स्पेसिअलिस्ट और सुपर स्पेसिअलिस्ट डॉक्टर  ओ पी डी में बैठते है और मरीजो को लगभग मुफ्त में देखते हैं | यहाँ गोरखपुर का सबसे बड़ा  ब्लड बैंक भी है| प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के अवसर मंदिर में एक माह तक मेला लगा रहता है भारत भर से श्रद्धालु यहाँ आकर गोरखनाथ बाबा के दर्शन करते हैं |


गोरखपुर की एक अन्य बिशेषता है  लोगो की जागरूकता या जागरूक बने रहने की इसीलिये शायद यहाँ  से हिन्दी के लगभग सारे समाचार पत्र छपते है जागरण, आज, हिंदुस्तान, सहारा, अमर उजाला इत्यादि |लोग इतने जागरूक है कि अपनी शिकायतों के लिए सम्बंधित विभाग में नहीं इन अखबारों के दफ्तर में जरूर पौंच जाते हैं | यहाँ लगभग १० स्थानीय टी वी चैनल हैं जिनके दफ्तर भी इस तरह के जागरूक निवासियों से भरे रहते हैं  और अन्य टी वी चैनल तो हैं ही | आकाशवाणी और दूरदर्शन केंद्र भी यहाँ है | यहाँ ४ स्टार होटल, वाटर पार्क, फोरेस्ट क्लब, शौपिंग माल आदि काफी  कुछ है |सभी प्रनुख बैंक स्टेट बैंक का आंचलिक कार्यालय, पूर्वोत्तर  रेलवे का मुख्यालय यहाँ हैं | दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्व विद्यालय भी यहाँ है  हर साल यहाँ फिल्म फेस्टिवल होता आयोजित किया जाता है जिसमे कई अन्तराष्ट्रीय फिल्मे प्रदर्शित की जाती है | सयोंग से मेरे पड़ोस में रहने वाले पेशे से डॉक्टर भी फिल्म निर्माण से  जुड़े  है| उनकी एक भोज पुरी फिल्म  बन रही है  "कोऊ हमसे जीत न पाई" |

कुल मिला कर ये शहर बहुत प्यारा और बहुत अपना सा लगता है |


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       शिव प्रकाश मिश्रा
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