रात्रि सपने में जो देखा था,
वही रंग फिर उभर आया .
खामोशियों में गुनगुनाहट भर गयी,
दिल में ही दर्पण सा नजर आया.
पवन के मात्र लघु झोंके से ,
सुगंधों का बड़ा तूफ़ान आया.
सौंदर्य मणि की रश्मिया ऐसी कि,
चित्रकारों की तूलिका पर तरस आया,
मुग्ध हो ज्यों भानु ने देखा ,
धरा को नाचते पाया......
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- शिव प्रकाश मिश्र
- S.P.MISHRA
वही रंग फिर उभर आया .
खामोशियों में गुनगुनाहट भर गयी,
दिल में ही दर्पण सा नजर आया.
पवन के मात्र लघु झोंके से ,
सुगंधों का बड़ा तूफ़ान आया.
सौंदर्य मणि की रश्मिया ऐसी कि,
चित्रकारों की तूलिका पर तरस आया,
मुग्ध हो ज्यों भानु ने देखा ,
धरा को नाचते पाया......
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- शिव प्रकाश मिश्र
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