Thursday, June 2, 2011

सपना....The Dream

रात्रि सपने में जो देखा था,


वही रंग फिर उभर आया .

खामोशियों में गुनगुनाहट भर गयी,

दिल में ही दर्पण सा नजर आया.

पवन के मात्र लघु झोंके से ,

सुगंधों का बड़ा तूफ़ान आया.

सौंदर्य मणि की रश्मिया ऐसी कि,

चित्रकारों की तूलिका पर तरस आया,

मुग्ध हो ज्यों भानु ने देखा ,

धरा को नाचते पाया......

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- शिव प्रकाश मिश्र

- S.P.MISHRA

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