चहुँ ओर अँधेरा है,
इस ओर निराशा है,
उस ओर हताशा है,
है उदासी कहीं ...
तो ..
तो ..
कहीं बदहाली है,
ये कैसा उजाला है...?
ये कैसी दीवाली है....?
परेशान अर्जुन है,
श्री कृष्ण हैरान है,
क्योंकि अब -
क्योंकि अब -
ध्रतराष्ट्र अंधे नहीं हैं
और
पितामह भी
सिंहासन से बंधे नहीं हैं,
दु:शासन को तब भी
रोका था क्या ? किसी ने ?,
पितामह भी
सिंहासन से बंधे नहीं हैं,
दु:शासन को तब भी
रोका था क्या ? किसी ने ?,
....अब कौन रोकेगा ?
युधिष्ठर मौन हैं ,
और भीम.. बेजान हैं ,
पांचाली भी अब
असली चीर हरण तो तभी हो गया था,
जब अपनों ने ही उसे दांव पर लगा दिया था
और अब
जब धर्म ही नहीं..? तो... धर्मं युद्ध क्यों होगा ?
अगर कुछ होगा तो
" मिल कर लूटने
और
लूट कर खाने " का गठबंधन होगा,
और
निश्चिन्त है दुर्योधन इसीलिये,
राज तिलक होगा ..!
... अवश्य होगा ....!
आखिर..कौन..उसे रोकेगा ?
युधिष्ठर मौन हैं ,
और भीम.. बेजान हैं ,
पांचाली भी अब
शायद ही मुखर विरोध करे ,
मालूम है उसे,असली चीर हरण तो तभी हो गया था,
जब अपनों ने ही उसे दांव पर लगा दिया था
और अब
जब धर्म ही नहीं..? तो... धर्मं युद्ध क्यों होगा ?
अगर कुछ होगा तो
" मिल कर लूटने
और
लूट कर खाने " का गठबंधन होगा,
और
गठबंधन बनाये रखना ही एकमेव धर्मं होगा,
पता नहीं
यही गठबंधन की राजनीति है ,
या राजनीति का गठबंधन है,
राज तिलक होगा ..!
... अवश्य होगा ....!
आखिर..कौन..उसे रोकेगा ?
और कौन .... चुनौती देगा...?
बंधक है अब विदुर, और
उनका नीति कोष खाली है,
उनका नीति कोष खाली है,
ये कैसा उजाला है... ?
ये कैसी दीवाली है....??
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- शिव प्रकाश मिश्रा ***********************
दीपावली और नव सम्वत्सर की बहुत बहुत शुभ कामनाएं !
Respected Guru Ji , Iam unable to understand why you write pessimistic poetries whenever i read your poetry i always remember jhon milton theme poetry is deep sarrow and pessimistic side of human feelings of life.
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