Showing posts with label प्रेम बंधन ........ Show all posts
Showing posts with label प्रेम बंधन ........ Show all posts

Thursday, June 2, 2011

प्रेम बंधन .......

जिन्दगी के मोड़ ले आये कहाँ पर,


मै सुबह से शाम तक चलता गया.

कल्पना का इन्द्र धनुषी मधुर उपवन,

कर्मनाशा की लहर को छू गया..

आग सी तपती छुधा की रेत पर,

कामना का बीज कोई बो गया.

आस्था के चाँद सीमित बिदुओं में,

सत्य खुद का ही बबंडर बन गया..

प्रेम के बंधन बंधे है रबर जैसे,

पास होकर दूर कोई कर गया..

**********************

शिव प्रकाश मिश्र

*********************