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Sunday, August 1, 2010

छोटा सा बादल ....

स्मित मुस्कान हो,
लाल आसमान हो,
पलके उठे झुके,
लब थर थराए रुके,
पास तुम बैठी रहो,
लहराती आंचल ॥

गुल मोहर खिले कहीं
दो पल मिले कहीं
और एक साथ गिने
हृदय की धड़कने
चांदनी ढके रहे
छोटा सा बादल ॥ ॥

****शिव प्रकाश मिश्र ******